माँ अन्नपूर्णा कौन हैं?
माँ अन्नपूर्णा अन्न, समृद्धि और पोषण की देवी हैं। वे भगवान शिव की अर्धांगिनी माँ पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। “अन्नपूर्णा” का अर्थ है – “अन्न से परिपूर्ण,” अर्थात जो सभी को भोजन और समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी आराधना से घर में कभी अन्न-धन की कमी नहीं होती और व्यक्ति को सौभाग्य तथा समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
माँ अन्नपूर्णा का स्वरूप और महत्व
- वे करुणामयी, दयालु और सबको अन्न-धन देने वाली देवी मानी जाती हैं।
- उनके एक हाथ में अन्नपूर्णा पात्र और दूसरे हाथ में दान मुद्रा होती है।
- भगवान शिव ने स्वयं माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा माँगी थी, जिससे उनका महत्व और बढ़ जाता है।
- उनकी कृपा से घर में अन्न, धन और समृद्धि की वृद्धि होती है।
- दान-पुण्य, करुणा और सेवा का भाव जागृत होता है।
माँ अन्नपूर्णा की पूजा का महत्व
- घर में अन्न-धन और समृद्धि बनी रहती है।
- भंडार सदा भरे रहते हैं, कभी अन्न की कमी नहीं होती।
- परिवार में शांति, सौभाग्य और खुशहाली बनी रहती है।
- व्यक्ति को आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- भोजन का महत्व समझ में आता है और अन्न का अपमान नहीं होता।
अन्नपूर्णा यंत्र क्या है?
अन्नपूर्णा यंत्र एक शक्तिशाली तांत्रिक यंत्र है, जो व्यक्ति के जीवन में अन्न, धन और समृद्धि बनाए रखने के लिए स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को घर, रसोई, दुकान या अन्न भंडार में रखने से कभी भी अन्न की कमी नहीं होती और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
अन्नपूर्णा यंत्र के लाभ
- घर में अन्न-धन और समृद्धि की वृद्धि होती है।
- भंडार हमेशा भरे रहते हैं, कभी भी अन्न की कमी नहीं होती।
- आर्थिक संकट और धन की तंगी से मुक्ति मिलती है।
- परिवार में शांति, संतोष और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
अन्नपूर्णा यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- इसे गुरुवार या पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
- गंगाजल और हल्दी मिले जल से शुद्ध करें और पीले वस्त्र पर रखें।
- यंत्र पर हल्दी, चावल, केसर और धूप-दीप अर्पित करें।
- अन्नपूर्णा देवी मंत्र का जाप करें –
ॐ ह्रीं अन्नपूर्णायै नमः॥ - प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा करें और भोजन का अपमान न करें।