Bhairav yantra

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भगवान भैरव कौन हैं?

भगवान भैरव शिवजी के एक उग्र और रक्षक स्वरूप हैं, जो सभी नकारात्मक शक्तियों, भय, शत्रु बाधाओं और अनहोनी घटनाओं से रक्षा करते हैं। वे काल के अधिपति हैं और विशेष रूप से तंत्र साधना, सुरक्षा और न्याय के देवता माने जाते हैं। भैरव जी की पूजा करने से भयमुक्त जीवन, शत्रु नाश और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

 

भगवान भैरव का स्वरूप

  • वे रुद्र रूप में दर्शाए जाते हैं, जिनका रंग काला होता है।
  • उनके वाहन श्वान (कुत्ता) हैं, जो उनके रक्षक और मार्गदर्शक रूप को दर्शाता है।
  • वे त्रिशूल, डमरू, खड्ग और खप्पर धारण करते हैं।
  • वे रात्रि के अधिपति हैं और विशेष रूप से रात्रिकालीन साधनाओं में पूजे जाते हैं।
  • अष्ट भैरव (असितांग भैरव, चंड भैरव, कपाल भैरव, क्रोध भैरव, रूरु भैरव, उन्मत्त भैरव, संहार भैरव, भिषण भैरव) उनके विभिन्न स्वरूप हैं।

 

भगवान भैरव की पूजा का महत्व

  • भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा मिलती है।
  • दुर्घटनाओं, अनहोनी और बुरी नजर से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • व्यापार, नौकरी और करियर में उन्नति होती है।
  • धन, संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • राहु और शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • कानूनी मामलों और विवादों में सफलता प्राप्त होती है।

 

भगवान भैरव की पूजा के लाभ

  • सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।
  • आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
  • आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  • यात्रा में सुरक्षा और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
  • शत्रु शांत और निर्बल हो जाते हैं।

 

भैरव यंत्र क्या है?

भैरव यंत्र भगवान भैरव की दिव्य ऊर्जा से संचारित एक शक्तिशाली तांत्रिक यंत्र है, जो शत्रु बाधा, भय, नकारात्मक शक्तियों और राहु-शनि के अशुभ प्रभावों से रक्षा करता है। इसे घर, व्यापार स्थल, पूजा स्थान या तिजोरी में स्थापित किया जाता है।

 

भैरव यंत्र के लाभ

  • नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से बचाव करता है।
  • शत्रु बाधाओं को समाप्त करता है।
  • कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होती है।
  • व्यापार, नौकरी और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • भय, तनाव और मानसिक अस्थिरता को दूर करता है।
  • जीवन में स्थिरता, आत्मबल और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

 

भैरव यंत्र की स्थापना और पूजा विधि

  • इसे रविवार या मंगलवार को शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
  • गंगाजल से शुद्ध करें और काले वस्त्र पर स्थापित करें।
  • यंत्र पर काले तिल, काली सरसों, धूप और दीप अर्पित करें।
  • भगवान भैरव के मंत्र का जाप करें –
    भ्रं भैरवाय नमः या काल भैरवाय नमः
  • प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा करें और भगवान भैरव का स्मरण करें।

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