Dhanvantri

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भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता। 

भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। वे समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे और अमृत कलश लेकर आए थे, जिससे देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ। उनकी पूजा से आरोग्य, दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। वे सभी रोगों से मुक्ति देने वाले देवता हैं और विशेष रूप से आयुर्वेदाचार्यों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य से जुड़े लोगों के आराध्य देव हैं।

 

भगवान धन्वंतरि की विशेषताएँ

  • चार भुजाओं में से एक में अमृत कलश, दूसरी में औषधि, तीसरी में शंख और चौथी में चक्र धारण करते हैं।
  • वे विष्णु के अवतार माने जाते हैं और रोगों के नाशक हैं।
  • उनकी पूजा से शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं।
  • दिवाली से पहले धनतेरस के दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है।

मंत्र:
नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपाय श्री धन्वंतरि स्वरूपाय श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

 

धन्वंतरि यंत्र स्वास्थ्य और आरोग्य का शक्तिशाली यंत्र

धन्वंतरि यंत्र भगवान धन्वंतरि की ऊर्जा को धारण करता है। यह यंत्र स्वास्थ्य, दीर्घायु और सभी प्रकार के रोगों से रक्षा करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे घर, अस्पताल, क्लिनिक या पूजा कक्ष में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा और आयुर्वेदिक चिकित्सा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

धन्वंतरि यंत्र के लाभ

  • रोगों से मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति।
  • मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि।
  • दीर्घायु और सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  • चिकित्सा व्यवसाय में सफलता।
  • घर या कार्यस्थल को नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करना।

 

धन्वंतरि यंत्र की स्थापना और पूजा विधि

  1. शुभ मुहूर्त – धनतेरस, रविवार या अमृत योग में स्थापना करें।
  2. स्थान – इसे पूजा कक्ष, अस्पताल, औषधालय या कार्यालय में रखें।
  3. शुद्धि – गंगाजल, केसर और चंदन से यंत्र को शुद्ध करें।
  4. अर्चना – तुलसी पत्र, कुमकुम, दीप और धूप अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप धन्वंतरि महाविष्णवे स्वाहा॥ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  6. नियमित पूजा – प्रतिदिन भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें और यंत्र की पूजा करें।

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