बृहस्पति देव कौन हैं?
बृहस्पति देव नवग्रहों में सबसे शुभ और ज्ञान, धर्म, शिक्षा, आध्यात्मिकता, वैवाहिक सुख और समृद्धि के स्वामी माने जाते हैं। इन्हें देवगुरु भी कहा जाता है क्योंकि वे देवताओं के मार्गदर्शक और विद्या के अधिपति हैं। गुरु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के ज्ञान, निर्णय शक्ति, धार्मिकता, धन और सामाजिक प्रतिष्ठा पर पड़ता है।
बृहस्पति देव का स्वरूप
बृहस्पति देव को पीले वस्त्रों में, स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत और कमल पर विराजमान दर्शाया जाता है। उनका वाहन हाथी या स्वर्ण रथ होता है, जिसे आठ घोड़े खींचते हैं। उनके हाथों में वेद, माला, डंडा और वर मुद्रा होती है। वे बुद्धिमत्ता, ज्ञान और सच्चाई के प्रतीक माने जाते हैं।
बृहस्पति देव का महत्व
- वेद, शिक्षा, ज्ञान और धर्म के स्वामी हैं।
- शुभ फल देने वाले ग्रह माने जाते हैं।
- जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाते हैं।
- व्यक्ति की निर्णय क्षमता, आध्यात्मिकता और नैतिकता को मजबूत करते हैं।
- धन, व्यापार और संतान से संबंधित कार्यों को प्रभावित करते हैं।
गुरु दोष और उसका प्रभाव
जब बृहस्पति ग्रह कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो इसे गुरु दोष कहा जाता है। इस दोष के कारण शिक्षा में बाधा, विवाह में देरी, आर्थिक परेशानियाँ, संतान सुख में कमी और आध्यात्मिक भटकाव जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
गुरु दोष के उपाय
- गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करें।
- पीले वस्त्र धारण करें और पीले फल व मिठाई का दान करें।
- केले के वृक्ष की पूजा करें और जल अर्पित करें।
- विद्वानों, शिक्षकों और ब्राह्मणों का सम्मान करें।
- गुरु मंत्र का जाप करें – ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
- गुरु यंत्र की स्थापना कर उसकी नियमित पूजा करें।
गुरु यंत्र क्या है?
गुरु यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय यंत्र है, जो गुरु ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने और शिक्षा, ज्ञान, आर्थिक समृद्धि तथा आध्यात्मिकता को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे घर, पूजा स्थान या कार्यस्थल पर रखा जाता है।
गुरु यंत्र के लाभ
- गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव को समाप्त करता है।
- शिक्षा, ज्ञान और तर्कशक्ति को बढ़ाता है।
- विवाह और संतान संबंधी समस्याओं का समाधान करता है।
- धन, व्यापार और करियर में उन्नति दिलाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक सोच को विकसित करता है।
गुरु यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- इसे गुरुवार के दिन शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
- यंत्र को पूजा स्थान, ऑफिस या अध्ययन कक्ष में रखें।
- प्रतिदिन गुरु मंत्र का जाप करें।
- यंत्र पर हल्दी, पीले फूल और दीपक अर्पित करें।
- केले के वृक्ष की पूजा करें और गुरु देव से प्रार्थना करें।