Kaal Sarp Yog Dosh Nivaran​

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शनि देव कर्म और न्याय के अधिष्ठाता

शनि देव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता माना जाता है। वे व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। शनि ग्रह का प्रभाव जीवन में अनुशासन, धैर्य और संघर्ष लाने वाला होता है। यदि शनि अशुभ स्थिति में होते हैं, तो जीवन में कठिनाइयाँ, आर्थिक समस्याएँ और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

शनि देव का विशेष प्रभाव उन लोगों पर अधिक रहता है, जिनकी कुंडली में कालसर्प योग या शनि दोष होता है। इसलिए, कालसर्प योग निवारण के लिए शनि देव की पूजा और उपाय करना अत्यंत आवश्यक है।

 

कालसर्प योग दोष कारण और प्रभाव

जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, तो यह कालसर्प योग बनाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में अनेक बाधाएँ, संघर्ष और मानसिक कष्ट उत्पन्न कर सकता है।

 

कालसर्प योग के नकारात्मक प्रभाव

  • अचानक आर्थिक हानि और करियर में रुकावटें
  • मानसिक अशांति, भय और आत्मविश्वास में कमी
  • पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में तनाव
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ और बार-बार बीमारियाँ
  • दुर्घटनाएँ और कानूनी परेशानियाँ

 

कालसर्प योग दोष निवारण यंत्र

कालसर्प योग दोष निवारण यंत्र एक शक्तिशाली यंत्र है, जो इस दोष के प्रभाव को कम करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है। यह यंत्र राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को समाप्त कर व्यक्ति को सफलता और शांति प्रदान करता है।

 

कालसर्प दोष निवारण यंत्र के लाभ

  • कालसर्प योग के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
  • आर्थिक समस्याओं और करियर में बाधाओं को दूर करता है।
  • पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनाए रखता है।
  • दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित हानियों से रक्षा करता है।
  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

 

कालसर्प योग निवारण उपाय और पूजा विधि

  1. शुभ मुहूर्त – नाग पंचमी, श्रावण मास, अमावस्या या शनिवार को यंत्र की स्थापना करें।
  2. स्थान – इसे घर, पूजा कक्ष या कार्यस्थल में रखें।
  3. शुद्धि – यंत्र को गंगाजल, केसर और चंदन से शुद्ध करें।
  4. अर्चना – भगवान शिव, नाग देवता और शनि देव की पूजा करें।
  5. मंत्र जाप
  • नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • राहवे नमः और केतवे नमः मंत्रों का जाप करें।
  1. विशेष उपाय
  • भगवान शिव को कच्चा दूध, बेलपत्र और जल अर्पित करें।
  • शनिवार को शनि देव को तेल अर्पित करें और दान करें।
  • नाग देवता की पूजा कर दूध और पुष्प अर्पित करें।

 

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