भगवान शिव – संहार और कल्याण के देवता |
भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी, महादेव, भोलेनाथ और नीलकंठ के रूप में जाना जाता है। वे संहारक होने के साथ-साथ दयालु और कल्याणकारी भी हैं। भगवान शिव मृत्यु के भय को दूर करने वाले, अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करने वाले और भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाले देवता हैं।
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित है, जो रोग, शोक, भय और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है। इस मंत्र का जाप करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
भगवान शिव की विशेषताएँ:
- मृत्यु के भय को नष्ट करने वाले महामृत्युंजय रूप में पूजनीय हैं।
- भक्तों को आयु, आरोग्य और शांति प्रदान करते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जाओं और दुष्ट शक्तियों से रक्षा करते हैं।
- मोक्षदायी और सभी प्रकार की बाधाओं को हरने वाले हैं।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय यंत्र – जीवन रक्षा और रोग नाशक यंत्र
महामृत्युंजय यंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन को दीर्घायु, सुरक्षित और भयमुक्त बनाने के लिए स्थापित किया जाता है। यह यंत्र विशेष रूप से रोग, दुर्घटना, मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभावी माना जाता है।
महामृत्युंजय यंत्र के लाभ:
- अकाल मृत्यु, रोग और दुर्घटनाओं से बचाव करता है।
- मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।
- रोगों से मुक्ति और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दिलाने में सहायक होता है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी नजर से रक्षा करता है।
- परिवार और स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- शुभ मुहूर्त – सोमवार, महाशिवरात्रि, पूर्णिमा, या श्रावण मास में स्थापना करें।
- स्थान – इसे घर, मंदिर, रोगी के पास, तिजोरी, व्यवसाय स्थल या गले में लॉकेट के रूप में धारण करें।
- शुद्धि – यंत्र को गंगाजल, बेलपत्र और कच्चे दूध से स्नान कराएं।
- अर्चना – भगवान शिव को जल, बिल्वपत्र, धूप, दीप, भस्म और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप –
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥ मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करें।
- महामृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें।
- विशेष उपाय –
- सोमवार को शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।
- रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- जरूरतमंदों को दान दें और गौ सेवा करें।