नवग्रह कौन हैं?
नवग्रह नौ प्रमुख खगोलीय शक्तियाँ हैं, जो मनुष्य के जीवन, भाग्य और कर्म को प्रभावित करती हैं। इन ग्रहों की स्थिति जन्म कुंडली में व्यक्ति के सुख-दुःख, समृद्धि और कठिनाइयों का निर्धारण करती है।
नवग्रहों के नाम और उनके प्रभाव
- सूर्य (Sun) – आत्मा, ऊर्जा, स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता का कारक।
- चंद्र (Moon) – मन, भावनाएँ, शांति और मानसिक स्थिरता का कारक।
- मंगल (Mars) – शक्ति, साहस, ऊर्जा और भूमि-संबंधी मामलों का कारक।
- बुध (Mercury) – बुद्धि, संचार, तर्क शक्ति और व्यापार का कारक।
- गुरु (Jupiter) – ज्ञान, शिक्षा, धर्म, समृद्धि और आध्यात्मिकता का कारक।
- शुक्र (Venus) – प्रेम, कला, सौंदर्य, वैभव और भौतिक सुख का कारक।
- शनि (Saturn) – कर्म, न्याय, धैर्य, कठिनाइयाँ और परिश्रम का कारक।
- राहु (Rahu) – छाया ग्रह, भ्रम, अचानक लाभ या हानि, रहस्यों और राजनीति का कारक।
- केतु (Ketu) – आध्यात्मिकता, मोक्ष, रहस्य, बाधाएँ और तपस्या का कारक।
नवग्रहों की पूजा का महत्व
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और भाग्य का संचार होता है।
- कुंडली दोष, पितृ दोष और ग्रह पीड़ा से राहत मिलती है।
- नौकरी, व्यवसाय, स्वास्थ्य और विवाह में सफलता प्राप्त होती है।
- शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
नवग्रह यंत्र क्या है?
नवग्रह यंत्र उन सभी ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए एक विशेष ज्योतिषीय यंत्र है। इसे घर, कार्यालय या पूजा स्थान पर स्थापित करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
नवग्रह यंत्र के लाभ
- नवग्रहों का संतुलन बनाए रखता है और जीवन में बाधाएँ कम करता है।
- नौकरी, व्यापार, विवाह और शिक्षा में सफलता दिलाता है।
- ग्रहों की शांति से मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं में राहत मिलती है।
- आर्थिक समृद्धि और धन की स्थिरता बढ़ती है।
- राहु, केतु और शनि के दुष्प्रभाव को कम करता है।
- पितृ दोष और कालसर्प दोष का निवारण करता है।
नवग्रह यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- इसे रविवार, पूर्णिमा या ग्रहण के दिन शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
- गंगाजल और पंचामृत से शुद्ध करें और पीले वस्त्र पर रखें।
- यंत्र पर हल्दी, कुंकुम, चावल, पुष्प और दीप अर्पित करें।
- प्रत्येक ग्रह के मंत्र का जाप करें, जैसे –
ॐ ब्रह्मा मुरारि त्रिपुरांतकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च। - प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा करें और नवग्रहों की शांति हेतु प्रार्थना करें।