सूर्य देव कौन हैं?
सूर्य देव नवग्रहों में सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख ग्रह माने जाते हैं। वे ऊर्जा, प्रकाश, आत्मबल, नेतृत्व, सम्मान, सफलता और स्वास्थ्य के स्वामी हैं। वे सौर मंडल के केंद्र में स्थित हैं और सभी ग्रहों को नियंत्रित करते हैं। हिन्दू धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है, क्योंकि वे साक्षात दिखाई देते हैं और जीवन के आधार हैं।
सूर्य देव का स्वरूप
सूर्य देव को तेजस्वी, स्वर्ण आभा से युक्त, सात घोड़ों वाले रथ पर विराजमान दिखाया जाता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें कमल, शंख, चक्र और अभय मुद्रा होती है। वे लाल और सुनहरे वस्त्र धारण करते हैं और उनकी ऊर्जा से समस्त संसार प्रकाशित होता है।
सूर्य देव का महत्व
- आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और यश प्रदान करते हैं।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
- पिता, उच्च अधिकारियों, सरकार और प्रशासन से जुड़े कार्यों को नियंत्रित करते हैं।
- समाज में सम्मान और प्रसिद्धि दिलाते हैं।
- राजनीतिक, प्रशासनिक और सरकारी सेवाओं में सफलता प्रदान करते हैं।
सूर्य दोष और उसका प्रभाव
जब सूर्य अशुभ स्थिति में होता है, तो इसे सूर्य दोष कहा जाता है। इसके कारण व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, स्वास्थ्य समस्याएँ, सरकारी मामलों में बाधाएँ, समाज में अपमान, पिता से विवाद और करियर में अस्थिरता जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।
सूर्य दोष के उपाय
- प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- रविवार का व्रत करें और सूर्य मंत्र का जाप करें – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
- तांबे का दान करें और गुड़ एवं गेहूं का दान करें।
- सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- सूर्य यंत्र की स्थापना कर उसकी नियमित पूजा करें।
सूर्य यंत्र क्या है?
सूर्य यंत्र एक पवित्र ज्यामितीय यंत्र है, जो सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और आत्मबल, नेतृत्व, सफलता और स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे घर, कार्यालय या पूजा स्थल पर रखा जाता है।
सूर्य यंत्र के लाभ
- सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव को समाप्त करता है।
- आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
- सरकारी सेवाओं, प्रशासन और राजनीति में सफलता दिलाता है।
- स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है।
- समाज में सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है।
सूर्य यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- इसे रविवार के दिन शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
- यंत्र को पूजा स्थान, ऑफिस या अध्ययन कक्ष में रखें।
- प्रतिदिन सूर्य मंत्र का जाप करें।
- यंत्र पर लाल फूल, गुड़ और तांबे का सिक्का अर्पित करें।
- सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और सूर्य देव से प्रार्थना करें।