Angarak Dosh

अंगारक दोष

शास्त्र के अनुसार  व्यक्ति की कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों से कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं. शुभ योग जहां जीवन में लाभ कराते हैं वहीं अशुभ और खतरनाक दोष बनने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इन्हीं अशुभ दोषों में से एक है अंगारक दोष. यह दोष कुंडली में मंगल और राहु की युति से बनता है. ज्योतिष शास्त्र में इस दोष को खतरनाक दोष माना गया है| यह दोष जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के कष्ट, मानसिक अशांति, आक्रामकता और बाधाओं का कारण बन सकता है।

  • अंगारक दोष कवच?
  • अंगारक योग के फायदे और नुकसान?
  • अंगारक योग के नुकसान?
  • अंगारक दोष का निवारण?
  • अंगारक योग पूजा विधि?
  • मंगल-राहु अंगारक योग निवारण यंत्र?
  • अंगारक योग के लक्षण?
  • अंगारक दोष के उपाय?
  • अंगारक दोष से क्या होता है?
  • अंगारक योग की शांति कैसे करें?
  • अंगारक योग कैसे बनता है कुंडली में?
  • अंगारक योग कब तक है?

Issues of Angarak Dosh

  • Due to this yoga, you may observe that the native is likely to be involved in illegal activities.

  • Could bring a lot of internal chaos eventually leading to frustration, anger burst, fights, road rash, anger anxiety issues, rude behavior or even acting impulsively.

  • Rahu creates illusion and Mars creates instant reaction due to which they tend to get distracted too quickly and do multiple tasks at once, without completing anyone, may feel restless when they are forced to rest.

  • Too much pitta in body

 

गुस्सैल स्वभाव और आक्रामकता।
अनावश्यक विवादों और झगड़ों की प्रवृत्ति।
निर्णय लेने की गलतियां और मानसिक अस्थिरता।

वित्तीय प्रभाव:
धन हानि या आर्थिक अस्थिरता।
गलत निवेश या धोखाधड़ी का सामना करना।

संबंधों पर प्रभाव:
पारिवारिक कलह और वैवाहिक जीवन में समस्याएं।
समाज में मान-सम्मान को ठेस।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:
चोट, दुर्घटना, या खून से संबंधित रोग।
त्वचा रोग, सिर दर्द, या सर्जरी की संभावना।

आध्यात्मिक प्रभाव:
आत्मविश्वास की कमी और नकारात्मकता।
आध्यात्मिक विकास में बाधा।

अंगारक दोष का कारण

1. मंगल और राहु की युक्ति
  • जब मंगल और राहु किसी भी राशि में एक ही स्थान पर आते हैं, तो अंगारक योग का निर्माण होता है।
  • यह विशेष रूप से तब अधिक प्रभावशाली होता है जब ये ग्रह व्यक्ति की जन्म कुंडली में महत्वपूर्ण भावों (जैसे 1st, 4th,  6th, 7th, 10th, 8th, या 12th ) में स्थित होते हैं।
  • भाव में मंगल-राहु/केतु की युति अधिक अशुभ मानी जाती है।
  • जन्म कुंडली के साथ-साथ गोचर में भी इसका प्रभाव।
2. मंगल और राहु का संबंध
  • यदि राहु और मंगल एक-दूसरे पर दृष्टि डालते हैं, तो भी अंगारक योग का आंशिक प्रभाव देखा जा सकता है।
3. ग्रहों की कमजोर स्थिति
  • यदि मंगल और राहु दोनों अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों या नीच राशि में हों, तो उनका नकारात्मक प्रभाव और बढ़ सकता है।
4. गोचर 
  • अंगारक योग का अस्थायी प्रभाव तब भी बन सकता है जब मंगल और राहु गोचर में एक ही राशि में आ जाएं।
5. शनि या केतु से संबंध
  • यदि शनि या केतु का प्रभाव भी मंगल-राहु की युति पर पड़े, तो अंगारक योग और अधिक नकारात्मक परिणाम दे सकता है।
6. ग्रहों की अशुभ दशा का संयोग
  • यदि मंगल और राहु की युति के समय अशुभ दशा (जैसे राहु महादशा या मंगल की अंतरदशा) चल रही हो, तो अंगारक योग का प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है।
  • इस दशा के दौरान व्यक्ति को अचानक समस्याओं, वित्तीय नुकसान, और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

अंगारक दोष शांति पूजा

1. पूजा और अनुष्ठान:

  • मंगल ग्रह की शांति:
    • “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का 10,000 बार जाप।
    • मंगल यंत्र की स्थापना और पूजा।
  • राहु/केतु शांति:
    • “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” या “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का जाप।
    • राहु-केतु के लिए हवन और तिल दान।
  • मंगल और राहु/केतु के लिए विशेष हवन:
    • “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप और रुद्राभिषेक।

2. दान:

  • मंगल के लिए तांबा, गुड़, लाल वस्त्र, और मसूर की दाल का दान।
  • राहु के लिए तिल, कोयला, नीला कपड़ा, और सरसों का तेल दान।
  • केतु के लिए कंबल, सफेद कपड़ा, और सर्प दान।

3. रत्न धारण:

  • ज्योतिषीय सलाह के अनुसार रत्न पहनें।
    • मंगल की शांति के लिए लाल मूंगा (Red Coral)।
    • राहु/केतु की शांति के लिए हसोनाइट (गौमेद) या कैट्स आई (लहसुनिया)।

4. व्रत और उपवास:

  • मंगलवार और शनिवार को उपवास करें।
  • राहु-केतु की शांति के लिए नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखें।

You can also do these Angarak Yog Remedies yourself

  • प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। हनुमान जी के मंदिर मे सरसों के हनुमानजी की पूजा करें और उनके चरणों में तांबे का दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें।

  • अंगारक शांति मंत्र का जाप करना चाहिए।

  • हर मंगलवार व्रत करना चाहिए।

  • हनुमान जी को गुड और चने का भोग लगाना चाहिए।

  • लाल चंदन का तिलक लगाएं।

  • भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।

  • गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।

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