भगवान गणेश कौन हैं?
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, शुभता और बुद्धि के देवता माना जाता है। वे प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाते हैं ताकि सभी बाधाएँ दूर हों और सफलता प्राप्त हो। गणेश जी को ज्ञान, समृद्धि, सौभाग्य और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है।
भगवान गणेश का स्वरूप
- उनका सिर हाथी का होता है, जो बुद्धि और विशाल दृष्टिकोण का प्रतीक है।
- उनकी एक छोटी और मोटी काया होती है, जो धैर्य और स्थिरता दर्शाती है।
- उनकी चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें अंकुश, पाश, मोदक और वरद मुद्रा होती है।
- उनका वाहन मूषक (चूहा) होता है, जो इच्छाओं और मन को नियंत्रित करने का प्रतीक है।
- वे माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं।
भगवान गणेश की पूजा का महत्व
- किसी भी नए कार्य, व्यवसाय, विवाह, गृह प्रवेश आदि में सफलता मिलती है।
- जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- बुद्धि, स्मरण शक्ति और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है।
- आर्थिक उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
भगवान गणेश की पूजा के लाभ
- सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- कार्यों में सफलता और स्थिरता प्राप्त होती है।
- धन, व्यापार और करियर में उन्नति होती है।
- पारिवारिक सुख-शांति बढ़ती है।
- बच्चों की शिक्षा और बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।
गणेश यंत्र क्या है?
गणेश यंत्र भगवान गणेश की दिव्य ऊर्जा से संचारित एक विशेष यंत्र है, जिसे स्थापित करने से जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि आती है। इसे घर, व्यापार स्थल, पूजा स्थान या अध्ययन कक्ष में रखा जाता है।
गणेश यंत्र के लाभ
- सभी प्रकार की बाधाएँ और विघ्न दूर होते हैं।
- कार्यों में सफलता और आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।
- व्यवसाय और व्यापार में वृद्धि होती है।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलती है।
- शुभता, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को आकर्षित करता है।
गणेश यंत्र की स्थापना और पूजा विधि
- इसे बुधवार या गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्ध करें और पीले वस्त्र पर रखें।
- यंत्र पर केसर, चंदन, मोदक और पुष्प अर्पित करें।
- भगवान गणेश के मंत्र का जाप करें –
ॐ गं गणपतये नमः। - प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा करें और गणेश जी का ध्यान करें।