Shiv Puran for Modern Youth

Discover the timeless Mahima of Lord Shiva's wisdom, relevant and inspiring for the modern youth. Ignite your inner light, leading you on a journey of self-discovery and transformation with Shiv Tatva.

Shiv Puran Complete (Khand 1 & 2)

हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में 'शिवपुराण' एक प्रमुख और प्रसिद्ध पुराण है। इसमें भगवान शिव के विभिन्न कल्याणकारी स्वरूपों, महिमा, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म और शिव उपासना का विस्तृत वर्णन है। 'शिवपुराण' में शिव के लीलाओं, पूजा-पद्धतियों और ज्ञानप्रद शिक्षाओं का भी उल्लेख है। माना जाता है कि मूल शिवमहापुराण में १ लाख श्लोक थे, लेकिन महर्षि वेदव्यास ने इसको २४ हजार श्लोकों में संक्षेपित कर दिया। यह ग्रन्थ हिन्दू धर्म में श्री शिव और देवी पार्वती के चारों ओर केंद्रित है। इसका उपदेश भगवान शिव ने ही दिया है और यह कलियुगी जीवों को सही रास्ता दिखाने का काम करता है।

With Guru AUM Sushant, Unlock the timeless wisdom of the Shiv Puran for the modern youth. Join us on a journey to explore the profound teachings and stories that offer timeless guidance for contemporary living.

# Samhita Adhyayas / (Section) (Chapters)

----- Start of Shiv Puran Gita Press Book 1 -------
I. Vidyesvara Samhita: 25

II. Rudra Samhita:
   i. Srstikhanda 20
   ii. Satikhanda 43
   iii. Parvatikhanda 55
   iv. Kumarakhanda 20
   v. Yuddhakhanda 59
------- End of Shiv Puran Gita Press Book 1 ------


------ Start of Shiv Puran Gita Press Book 2 ------
III. Satarudra Samhita: 42
IV. Kotirudra Samhita: 43
V. Uma Samhita: 51
VI. Kailasa Samhita: 23

VII. Vayaviya Samhita:
   i. Purvakhand 35
   ii. Uttarakhand 41
----- End of Shiv Puran Gita Press Book 2 -------

Total: 457

 

BOOK 1
शिव पुराण माहात्म्य
Introduction to Shiva Purana Sivapuraṇa-mahatmya

 

1 Greatness of Sivapuraṇa
2 The liberation of Devaraja
3 Cañcula’s disillusion and detachment
4 Cañcula’s salvation
5 Binduga’s salvation
6 Rules for listening to Sivapuraṇa
7 The rite of listening to Sivapuraṇa: Injunctions and prohibitions

 

सूत जी द्वारा शिव पुराण की महिमा का वर्णन
देवराज को शिवलोक की प्राप्ति
चंचुला का संसार से वैराग्य
देवराज ब्राह्मण की कथा
बिंदुग ब्राह्मण की कथा
चंचुला की शिव कथा सुनने में रुचि और शिवलोक गमन
बिंदुग का पिशाच योनि से उद्धार
शिव पुराण 'के श्रवण की विधि
श्रोताओं द्वारा पालन किए जाने वाले नियम

 

 

 

Section 1 – VidyeSvara Saṃhita
विद्येश्वर-संहिता


1 The Doubt of the Sages
2 Answers Clarifying the Doubts of the Sages
3 The deliberation on the achievable and the means of achievement
4 The Excellence of Listening and Deliberation
5 The greatness of the phallic emblem (liṅga) of Siva
6 Battle between Brahma and Viṣṇu
7 Siva manifests himself as a column of fire in the battlefield
8 Siva’s forgiveness of Brahma
9 The Proclamation of Siva as MaheSvara (the great lord)
10 The five-fold activities (pañcakṛtya) and the Oṃkara-mantra
11 Mode of worshipping the phallic form of Siva and making gifts
12 The narrative of Siva’s holy centres and temples
13 Description of good conduct (sadacara)
14 Description of Fire-sacrifice (agniyajña), etc
15 Qualification, time and place for devayajña, etc
16 Different modes of worship of clay idols and their results
17 The glorification of the syllable Om and the five-syllabled mantra
18 Bondage and liberation: Glorification of the phallic emblem of Siva
19 The worship of Siva’s Earthen phallic image (parthiva-liṅga)
20 Worshipping an earthen phallic image by chanting Vedic mantras
21 Number of phallic images of Siva used in worship
22 On the partaking of the Naivedya of Siva and the greatness of Bilva
23 The glorification of the Rudrakṣa and of the names of Siva
24 The greatness of the holy ashes (bhasma)
25 The greatness of Rudrakṣa

 

पापनाशक साधनों के विषय में प्रश्न
सनत्कुमार व्यास संवाद
शिव पुराण का परिचय और महिमा
श्रवण, कीर्तन और मनन साधनों की श्रेष्ठता
शिवलिंग का रहस्य एवं महत्व
ब्रह्मा-विष्णुं युद्ध
भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बिच युद्ध
ब्रह्मा का अभिमान भंग
लिंग पूजन का महत्व
प्रणव एवं पंचाक्षर मंत्र की महत्ता
शिवलिंग की स्थापना और पूजन विधि का वर्णन
मोक्षदायक पुण्य क्षेत्रों का वर्णन
सदाचार, संध्यावंदन, प्रणव गायत्री जाप एवं अग्निहोत्र की विधि तथा महिमा
अग्नियज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ का वर्णन
देश, काल, पात्र और दान का विचार
देव प्रतिमा का पूजन तथा शिवलिंग के वैज्ञानिक स्वरूप का विवेचन
प्रणव का माहात्म्य व शिवलोक के वैभव का वर्णन
" बंधन और मोक्ष का विवेचन
शिव के भस्मधारण का रहस्य"
पूजा का भेद बीसवां अध्याय
पार्थिव लिंग पूजन की विधि
शिवलिंग की संख्या
शिव नैवेद्य और बिल्व माहात्म्य
शिव नाम की महिमा
भस्मधारण की महिमा
रुद्राक्ष माहात्म्य

Section 2.1 – Rudra Saṃhita (1): Sṛṣṭi Khanda
रुद्र संहिता (१): सृष्टि खण्ड


1 The inquiry of the sages
2 Indra sends Kamadeva to disturb the penance of Narada
3 Narada attends the Svayaṃvara of a virgin and is discomfited
4 Narada goes to Vaikuṇṭha and curses Viṣṇu there
5 Narada goes to KaSī
6 Description of the nature of Mahapralaya and the origin of Viṣṇu
7 The dispute between Brahma and Viṣṇu
8 The description of the body of Sabdabrahman
9 Description of Sivatattva
10 Description of Parama Sivatattva
11 The mode of worshipping Siva
12 Consideration of the essential and the non-essential in the worship
13 The mode of worshipping Siva
14 Directions for the worship of Siva
15 The manifestation of Rudra
16 Description of the Creation
17 The Story of Guṇanidhi
18 The Redemption of Guṇanidhi
19 The friendship of Siva and Kubera
20 Siva goes to Kailasa

 

ऋषिगणों की वार्ता
नारद जी की काम वासना
नारद जी का भगवान विष्णु से उनका रूप मांगना
नारद जी का भगवान विष्णु को शाप देना
नारद जी का शिवतीर्थों में भ्रमण व ब्रह्माजी से प्रश्न
ब्रह्माजी द्वारा शिवतत्व का वर्णन
विवादग्रस्त ब्रह्मा-विष्णु के मध्य अग्नि स्तंभ का प्रकट होना
ब्रह्मा विष्णु को भगवान शिव के दर्शन
देवी उमा एवं भगवान शिव का प्राकट्य एवं उपदेश देना
श्रीहरि को सृष्टि की रक्षा का भार एवं त्रिदेव को आयुर्बल देना
पूजन की विधि तथा फल प्राप्ति
देवताओं को उपदेश देना
शिव पूजन की श्रेष्ठ विधि
पुष्पों द्वारा शिव पूजा का माहात्म्य
सृष्टि का वर्णन
सृष्टि की उत्पत्ति
पापी गुणनिधि की कथा
गुणनिधि को मोक्ष की प्राप्ति
गुणनिधि को कुबेर पद की प्राप्ति
भगवान शिव का कैलाश पर्वत पर गमन

 

 

Section 2.2 – Rudra Saṃhita (2): Satī-khaṇḍa
रुद्र संहिता (२): सती खंड


1 Summary of Satī’s life
2 The appearance of Cupid (Kama)
3 Kama is cursed but blessed later
4 Kama’s marriage
5 The story of Sandhya
6 Sandhya granted a boon by Siva
7 Sandhya gets the name Arundhatī and marries Vasiṣṭha
8 The description of the form and features of Vasanta
9 The power of Kama and the birth of his attendants
10 Brahma-Viṣṇu dialogue
11 Hymn to Durga; Brahma granted a boon
12 Dakṣa granted the boon
13 Narada is cursed by Dakṣa
14 The birth of Satī and her childish sports
15 The Sacred rites of Nanda and Hymn to Siva
16 Prayer to Siva offered by Brahma and Viṣṇu
17 Satī granted the boon
18 Marriage of Siva and Satī
19 Description of Siva’s sports
20 Satī’s marriage festival
21 The Dalliance of Satī and Siva
22 The dalliance of Siva and Siva on the Himalayas
23 Description of the Power of Devotion
24 Satī’s test of Rama’s divinity
25 Separation of Satī and Siva
26 The cause of estrangement between Dakṣa and Siva
27 The inauguration of Dakṣa’s sacrifice
28 Satī’s Journey
29 Satī’s statement
30 Satī’s casting off of her body and the subsequent disorder
31 The Celestial Voice
32 Vīrabhadra is born and Siva advises him
33 The March of Vīrabhadra
34 The devas witness bad omens at the place of sacrifice
35 Viṣṇu’s statement
36 The dialogue between Viṣṇu and Vīrabhadra
37 Destruction of Dakṣa’s sacrifice
38 The dialogue between Kṣuva and Dadhīca
39 Description of the fight between Viṣṇu and Dadhīca
40 Journey to Kailasa and the vision of Siva
41 Devas eulogise Siva
42 The removal of Dakṣa’s misery
43 The Arrangement in Dakṣa’s Sacrifice

 

सती चरित्र
कामदेव की उत्पत्ति
कामदेव को ब्रह्माजी द्वारा शाप देना
काम रति विवाह
संध्या का चरित्र
संध्या की तपस्या
संध्या की आत्माहुति
काम की हार
ब्रह्मा का शिव विवाह हेतु प्रयत्न
ब्रह्मा विष्णु संवाद
ब्रह्माजी की काली देवी से प्रार्थना
दक्ष की तपस्या
दक्ष द्वारा मैथुनी सृष्टि का आरंभ
दक्ष की साठ कन्याओं का विवाह
सती की तपस्या
रुद्रदेव का सती से विवाह
सती को शिव से वर की प्राप्ति
शिव और सती का विवाह
ब्रह्मा और विष्णु द्वारा शिव की स्तुति करना
शिव सती का विदा होकर कैलाश जाना
शिव सती विहार
शिव सती का हिमालय गमन
शिव द्वारा ज्ञान और मोक्ष का वर्णन
शिव की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा
श्रीराम का सती के संदेह को दूर करना
दक्ष का भगवान शिव को शाप देना
दक्ष द्वारा महान यज्ञ का आयोजन
सती का दक्ष के यज्ञ में आना
यज्ञशाला में सती का अपमान
सती द्वारा योगाग्नि से शरीर को भस्म करना
आकाशवाणी
शिवजी का क्रोध
वीरभद्र और महाकाली का यज्ञशाला की ओर प्रस्थान
यज्ञ मण्डप में भय और विष्णु से जीवन रक्षा की प्रार्थना
ॐ वीरभद्र का आगमन
श्रीहरि और वीरभद्र का युद्ध
दक्ष का सिर काटकर यज्ञ कुंड में डालना
दधीचि -क्षुव विवाद
दधीचि का शाप और क्षुव पर अनुग्रह
ब्रह्माजी का कैलाश पर शिवजी से मिलना
शिव द्वारा दक्ष को जीवित करना
दक्ष का यज्ञ को पूर्ण करना

 

 

Section 2.3 – Rudra-saṃhita (3): Parvatī-khaṇḍa
रुद्र संहिता (३): पार्वती खण्ड

1 The marriage of Himacala
2 Mena and others incur the imprecation of Sanaka etc
3 Hymn to Siva by Viṣṇu and other gods
4 The Goddess consoles the Gods
5 Mena obtains the boon
6 Parvatī’s birth
7 The childhood sports of Parvatī
8 Narada-Himalaya Conversation
9 Siva appears before Parvatī in a dream
10 Mars is born and raised to the status of a Planet by Siva’s grace
11 Siva and Himavat meet together
12 Siva-Himavat dialogue
13 Siva-Parvatī dialogue
14 The Birth of Taraka and Vajraṅga and their Penance
15 The penance and reign of Tarakasura
16 Brahma consoles the gods
17 The dialogue between Indra and Kamadeva
18 Description of the perturbation caused by Kama
19 Kama’s destruction by Siva
20 The story of the submarine fire
21 Narada instructs Parvatī
22 Description of Parvatī’s penance
23 Attempt of Himavat to dissuade Parvatī; gods go to meet Siva
24 Siva consents to marry Parvatī
25 The seven celestial sages test Parvatī
26 Parvatī-Jaṭila dialogue
27 Description of the fraudulent words of the Brahmacarin
28 Parvatī sees Siva’s real form
29 Siva-Siva dialogue
30 The Celebration of Parvatī’s Return
31 Description of Siva’s magic
32 The seven celestial sages arrive
33 The appeasement of Himavat
34 The Story of Anaraṇya
35 The story of Padma and Pippalada
36 The statements of the seven sages
37 The letter of betrothal is dispatched
38 Description of the dais (maṇḍapa)
39 The gods arrive at Kailasa on invitation and Siva prepares to start
40 The Marriage Procession of Siva
41 Description of the Altar-Structure
42 Description of the meeting of the lord and the mountain
43 Description of Siva’s wonderful sport
44 Mena regains consciousness
45 Siva’s comely form and the Jubilation of the Citizens
46 The arrival of the bridegroom
47 The ceremonious entry of Siva
48 Description of Marriage (Siva and Parvatī)
49 The delusion of Brahma
50 Description of fun and frolic
51 The resuscitation of Kama
52 The bridegroom’s party is fed and Siva retires to bed
53 Description of Siva’s return journey
54 Description of the duties of the chaste wife (Pativratadharma)
55 Siva returns to Kailasa

 

हिमालय विवाह
पूर्व कथा
देवताओं का हिमालय के पास जाना
देवी जगदंबा के दिव्य स्वरूप का दर्शन
मैना - हिमालय का तप व वरदान प्राप्ति
पार्वती जन्म
पार्वती का नामकरण
मैना और हिमालय की बातचीत
पार्वती का स्वप्न
भौम-जन्म
भगवान शिव की गंगावतरण तीर्थ में तपस्या
पार्वती को सेवा में रखने के लिए हिमालय का शिव को मनाना
पार्वती शिव का दार्शनिक संवाद
वज्रांग का जन्म एवं पुत्र प्राप्ति का वर मांगना
तारकासुर का जन्म व उसका तप
तारक का स्वर्ग त्याग
कामदेव का शिव को मोहने के लिए प्रस्थान
कामदेव का भस्म होना
शिव क्रोधाग्नि की शांति
शिवजी के बिछोह से पार्वती का शोक
पार्वती की तपस्या
पार्वती की तपस्या
देवताओं का शिवजी के पास जाना
शिव से विवाह करने का अनुरोध
सप्तऋषियों द्वारा पार्वती की परीक्षा
शिवजी द्वारा पार्वती जी की तपस्या की परीक्षा करना
पार्वती को शिवजी से दूर रहने का आदेश
पार्वती जी का क्रोध से ब्राह्मण को फटकारना
शिव-पार्वती संवाद
शिवजी द्वारा हिमालय से पार्वती को मांगना
बाह्मण वेष में पार्वती के घर जाना
सप्तऋषियों का आगमन और हिमालय को समझाना
वशिष्ठ मुनि का उपदेश
अनरण्य राजा की कथा
पद्मा पिप्पलाद की कथा
सप्तऋषियों का शिव के पास आगमन
हिमालय का लग्न पत्रिका भेजना
विश्वकर्मा द्वारा दिव्य मंडप की रचना
शिवजी का देवताओं को निमंत्रण
भगवान शिव की बारात का हिमालयपुरी की ओर प्रस्थान
मंडप वर्णन व देवताओं का भय
बारात की अगवानी और अभिनंदन
शिवजी की अनुपम लीला
मैना का विलाप एवं हठ
शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शन
शिव का परिछन व पार्वती का सुंदर रूप देख प्रसन्न होना
वर-वधू द्वारा एक-दूसरे का पूजन
शिव-पार्वती का विवाह आरंभ
ब्रह्माजी का मोहित होना
विवाह संपन्न और शिवजी से विनोद
रति की प्रार्थना पर कामदेव को जीवनदान
भगवान शिव का आवासगृह में शयन
बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करना
पार्वती को पतिव्रत धर्म का उपदेश
बारात का विदा होना तथा शिव पार्वती का कैलाश पर निवास

 

 

 

Section 2.4 – Rudra-saṃhita (4): Kumara-khaṇḍa
रुद्र-संहिता (४): कुमार-खण्ड

1 The dalliance of Siva
2 The birth of Siva’s son
3 The boyhood sports of Karttikeya
4 Search for Karttikeya and his conversation with Nandin
5 Karttikeya is crowned
6 The miraculous feat of Karttikeya
7 Commencement of the War
8 The battle between the gods and Asuras
9 Boasting of Taraka and fight between him and Indra, Viṣṇu, Vīrabhadra
10 Jubilation of the gods at the death of Taraka
11 The Victory of Kumara and the death of Baṇa and Pralamba
12 The story of Siva and Parvatī including that of Karttikeya
13 The birth of GaṇeSa
14 The Gaṇas argue and wrangle
15 GaṇeSa’s battle
16 The head of GaṇeSa is chopped off during the battle
17 The Resuscitation of GaṇeSa
18 GaṇeSa crowned as the chief of Gaṇas
19 Gaṇapati’s marriage
20 The celebration of GaṇeSa’s marriage

 


शिव-पार्वती विहार
स्वामी कार्तिकेय का जन्म
स्वामी कार्तिकेय और विश्वामित्र
कार्तिकेय की खोज
कुमार का अभिषेक
कार्तिकेय का अद्भुत चरित्र
युद्ध का आरंभ

बाणासुर और दैत्य प्रलंब का वध
कार्तिकेय का कैलाश गमन
पार्वती द्वारा गणेश की उत्पत्ति
शिवगणों का गणेश से विवाद
शिवगणों से गणेश का युद्ध
गणेशजी का शिरोच्छेदन
पार्वती का क्रोध एवं गणेश को जीवनदान
गणेश गौरव
गणेश विवाह
पृथ्वी परिक्रमा का आदेश
गणेश विवाह व कार्तिकेय का रुष्ट होना

 

 

 

Rudra-saṃhita (5): Yuddha-khaṇḍa
रुद्र-संहिता (५): युद्ध-खण्ड


1 Description of Tripura (the three cities)
2 The Prayer of the gods
3 The virtues of the Tripuras
4 The Tripuras are initiated
5 The Tripuras are fascinated
6 Prayer to Siva
7 The gods pray
8 The detailed description of the chariot etc
9 Siva’s campaign
10 The burning of the Tripuras
11 The Gods’ prayer
12 The Gods go back to their abodes
13 Resuscitation of Indra in the context of the destruction of Jalandhara
14 The birth of Jalandhara and his marriage
15 The fight between the gods and Jalandhara
16 The battle of the gods
17 The fight between Viṣṇu and Jalandhara
18 The conversation between Narada and Jalandhara
19 Jalandhara’s emissary to Siva
20 The fight between the rank and file of the Gaṇas and the Asuras
21 Description of the Special War
22 Description of Jalandhara’s Battle
23 Outraging the modesty of Vṛnda
24 Jalandhara is slain
25 Prayer by the gods
26 The Vanishing of Viṣṇu’s delusion
27 The birth of Saṅkhacūḍa
28 The penance and marriage of Saṅkhacūḍa
29 The previous birth of Saṅkhacūḍa
30 Prayer to the lord of gods
31 Siva’s advice to Viṣṇu and Brahma
32 The Emissary is sent
33 March of The Victorious Lord Siva
34 The March of Saṅkhacūḍa
35 The conversation between Siva and the emissary of Saṅkhacūḍa
36 Mutual fight
37 Saṅkhacūḍa fights with the full contingent of his army
38 Kalī fights
39 The annihilation of the army of Saṅkhacūḍa
40 Saṅkhacūḍa is slain
41 The curse of Tulasī
42 Hiraṇyakṣa is slain
43 HiraṇyakaSipu is slain
44 Andhaka’s attainment of the leadership of Gaṇas
45 The beginning of the war and the conversation with the messengers
46 Andhaka fights
47 Description of swallowing Sukra
48 Swallowing of Sukra
49 The acquisition of the position of a Gaṇa by Andhaka
50 Sukra learns Mṛtasañjīvanī lore
51 The story of Ūṣa
52 The story of Ūṣa (2)
53 The dalliance of Ūṣa and Aniruddha
54 The fight among Baṇa, Siva, Kṛṣṇa and others
55 The chopping of Bana’s arms and his humiliation
56 Baṇasura attains the position of Siva’s Gaṇa
57 Gajasura is slain
58 Dundubhinirhrada is slain
59 Vidala and Utpala are slain

 

तारकपुत्रों की तपस्या एवं वरदान प्राप्ति
देवताओं की प्रार्थना
भगवान शिव का देवताओं को विष्णु के पास भेजना
नास्तिक शास्त्र का प्रादुर्भाव
नास्तिक मत से त्रिपुर का मोहित होना
त्रिपुर सहित उनके स्वामियों के वध की प्रार्थना
देवताओं द्वारा शिव-स्तवन
दिव्य रथ का निर्माण
भगवान शिव की यात्रा
त्रिपुरासुर वध
देवताओं द्वारा शिव-स्तवन
वर पाकर मय दानव का वितल लोक जाना
इंद्र को जीवनदान व बृहस्पति को 'जीव' नाम देना
जलंधर की उत्पत्ति
देव जलंधर युद्ध
श्रीविष्णु का लक्ष्मी को जलंधर का वध न करने का वचन देना
श्रीविष्णु-जलंधर युद्ध
नारद जी का कपट जाल
दूत-संवाद
शिवगणों का असुरों से युद्ध
द्वंद्व-युद्ध
शिव जलंधर युद्ध
वृंदा का पतिव्रत भंग
जलंधर का वध
देवताओं द्वारा शिव स्तुति
धात्री, मालती और तुलसी का आविर्भाव
शंखचूर्ण की उत्पत्ति
शंखचूड़ का विवाह
शंखचूड़ के राज्य की प्रशंसा
देवताओं का शिवजी के पास जाना
शिवजी द्वारा देवताओं को आश्वासन
पुष्पदंत - शंखचूड़ वार्ता
भगवान शिव की युद्ध यात्रा
शंखचूड़ की युद्ध यात्रा
शंखचूड़ के दूत और शिवजी की वार्ता
देव-दानव युद्ध
शंखचूड़ युद्ध
भद्रकाली-शंखचूड़ युद्ध
शंखचूड़ की सेना का संहार
शिवजी द्वारा शंखचूड़ वध
तुलसी द्वारा विष्णुजी को शाप
हिरण्याक्ष-वध
हिरण्यकशिपु की तपस्या और नृसिंह द्वारा उसका वध
अंधक की अंधता
युद्ध आरंभ
युद्ध की समाप्ति
शिव द्वारा शुक्राचार्य को निगलना
शिव द्वारा शुक्राचार्य को निगलना
अंधक को गणत्व की प्राप्ति
शुक्राचार्य को मृत संजीवनी की प्राप्ति
बाणासुर आख्यान
बाणासुर को शाप व उषा चरित्र
अनिरुद्ध को बाण द्वारा नागपाश में बांधना तथा दुर्गा की कृपा से उसका मुक्त होना
श्रीकृष्ण द्वारा राक्षस सेना का संहार
बाणासुर की भुजाओं का विध्वंस
बाणासुर को गण पद की प्राप्ति
गजासुर की तपस्या एवं वध
दुंदुभिनिर्ह्राद का वध
विदल और उत्पल नामक दैत्यों का वध

BOOK 2
Section 3 – Satarudra-saṃhita
अनुभाग ३ – सतरुद्र-संहिता


1 The five incarnations of the supreme Brahman
2 The eight forms of Siva
3 The half-female incarnation of Lord Siva
4 The story of Ṛṣabha
5 The nineteen incarnations of Siva
6 The incarnation of NandīSvara
7 The coronation and the nuptials of NandīSvara
8 Bhairava incarnation
9 The sports of Bhairava
10 The narrative of Nṛsiṃha (man-lion)
11 Prologue to Sarabha incarnation
12 The incarnation of Sarabha
13 The incarnation of Gṛhapati
14 The incarnation of Gṛhapati (2)
15 The incarnation of Gṛhapati (3)
16 Siva’s Incarnation as YakṣeSvara
17 Ten incarnations of Siva
18 Siva’s Eleven Incarnations
19 instruction of Vyasa in the context of Siva’s incarnation as Kirata
20 The Incarnation of Hanūmat and his story
21 The Incarnation and the story of MaheSa
22 Harassment by Viṣṇu’s sons
23 The bull incarnation of Siva (Vṛṣabha)
24 Pippalada incarnation of Siva
25 Pippalada incarnation of Siva (2)
26 Siva’s incarnation as VaiSyanatha
27 The incarnation of DvijeSvara
28 Siva’s incarnation as Yatinatha haṃsa (swan)
29 The incarnation of Siva as KṛṣṇadarSana
30 The incarnation of Siva as AvadhūteSvara
31 The incarnation of Siva as Bhikṣuvarya
32 The incarnation of Siva named SureSvara
33 Siva’s incarnation as the student-ascetic (Jaṭila)
34 The incarnation of Siva as Sunartaka naṭa
35 The incarnation of Siva as a saintly brahmin
36 Siva’s incarnation as ASvatthaman
37 Instruction of Vyasa in the context of Siva’s incarnation as Kirata
38 The description of Arjuna’s penance
39 The demon Mūka is killed in the context of the incarnation of Kirata
40 The Kirata-Arjuna dialogue
41 The incarnation of lord Siva as Kirata
42 The Twelve Jyotirliṅga incarnations

 

शिव के पांच अवतार
शिवजी की अष्टमूर्तियों का वर्णन
अर्द्धनारीश्वर शिव
ऋषभदेव अवतार का वर्णन
शिवजी द्वारा योगेश्वरावतारों का वर्णन
नंदीकेश्वर अवतार
नंदी को वर प्राप्ति और विवाह वर्णन
भैरव अवतार
भैरव जी का अभिवादन
नृसिंह लीला वर्णन
शरभ अवतार
शिव द्वारा नृसिंह के शरीर को कैलाश ले जाना
विश्वानर को वरदान
गृहपति अवतार
गृहपति को शिवजी से वर प्राप्ति
यज्ञेश्वर अवतार
शिव दशावतार
एकादश रुद्रों की उत्पत्ति
दुर्वासा चरित्र
हनुमान अवतार
महेश अवतार वर्णन
वृषभावतार वर्णन
वृषभाव तार लीला वर्णन
पिप्पलाद चरित्र
पिप्पलाद महादेव लीला
वैश्यनाथ अवतार वर्णन
द्विजेश्वर अवतार
यतिनाथ हंसरूप अवतार
श्रीकृष्ण दर्शन अवतार
भगवान शिव का अवधूतेश्वरावतार
भिक्षुवर्य शिव अवतार वर्ण
सुरेश्वर अवतार
ब्रह्मचारी अवतार
सुनट नर्तक अवतार
शिवजी का द्विजअवतार
अश्वत्थामा का शिव अवतार
पाण्डवों को शिव पूजन के लिए व्यास जी का उपदेश
अर्जुन द्वारा शिवजी की तपस्या करना
शिवजी का किरात अवतार
किरात अर्जुन विवाद
किरातेश्वर महादेव की कथा
द्वादश ज्योतिर्लिंग

BOOK 2
Section 4 – Koṭirudra-Saṃhita
अनुभाग ४ – कोटिरुद्र-संहिता


1 The greatness of Jyotirliṅgas and their Upaliṅgas
2 The greatness of Śivaliṅgas
3 The penance of Anasūyā and Atri
4 The greatness of Atrīśvara
5 The death of the Brahmin lady and the greatness of Nandikeśvara
6 The Brahmin lady attains heaven
7 The greatness of Nandikeśvara
8 The greatness of Mahābala
9 The attainment of good goal by the outcaste woman
10 The greatness and glory of Mahābala
11 The greatness of the moon-crested Paśupatinātha
12 The reason for Śiva’s assuming the phallic form (liṅga)
13 The origin of Vaṭuka
14 The origin of the Jyotirliṅga Somanātha
15 The origin of the Second Mallikārjuna Jyotirliṅga
16 The greatness of the Jyotirliṅga Mahākāla
17 The greatness of Jyotirliṅga Mahākāla
18 The greatness of the Jyotirliṅga Oṃkāreśvara
19 The greatness of the Jyotirliṅga Kedāreśvara
20 The greatness of the Jyotirliṅga Bhīmeśvara
21 The origin of the Jyotirliṅga Bhīmeśvara
22 The greatness of Viśveśvara, the arrival of Rudra at Kāśī
23 The greatness of the Jyotirliṅga Kāśī-Viśveśvara
24 The greatness of Gautama
25 The planned arrangement of Gautama
26 The greatness of Tryambakeśvara
27 The greatness of the Jyotirliṅga Tryambakeśvara
28 The glory of the Jyotirliṅga Vaidyanātheśvara
29 The havoc of the Rākṣasas of Dārukāvana
30 The greatness of the Jyotirliṅga Nāgeśvara
31 The greatness of Rāmeśvara
32 The narrative of Sudehā and Sudharmā
33 Origin and glory of the Jyolirliṅga Ghuśmeśvara
34 Acquisition of Sudarśana by Viṣṇu
35 Śiva-sahasranāma: the thousand names of Śiva
36 Efficacy of the thousand names of Śiva
37 Devotion to lord Śiva
38 The greatness of Śivarātri
39 The conclusion of the rite of Śivarātri
40 The glory of Śivarātri
41 Review of salvation
42 The difference between Saguṇa and Nirguṇa
43 Review of Knowledge

 

शिव के पांच अवतार
शिवजी की अष्टमूर्तियों का वर्णन
अर्द्धनारीश्वर शिव
ऋषभदेव अवतार का वर्णन
शिवजी द्वारा योगेश्वरावतारों का वर्णन
नंदीकेश्वर अवतार
नंदी को वर प्राप्ति और विवाह वर्णन
भैरव अवतार
भैरव जी का अभिवादन
नृसिंह लीला वर्णन
शरभ अवतार
शिव द्वारा नृसिंह के शरीर को कैलाश ले जाना
विश्वानर को वरदान
गृहपति अवतार
गृहपति को शिवजी से वर प्राप्ति
यज्ञेश्वर अवतार
शिव दशावतार
एकादश रुद्रों की उत्पत्ति
दुर्वासा चरित्र
हनुमान अवतार
महेश अवतार वर्णन
वृषभावतार वर्णन
वृषभाव तार लीला वर्णन
पिप्पलाद चरित्र
पिप्पलाद महादेव लीला
वैश्यनाथ अवतार वर्णन
द्विजेश्वर अवतार
यतिनाथ हंसरूप अवतार
श्रीकृष्ण दर्शन अवतार
भगवान शिव का अवधूतेश्वरावतार
भिक्षुवर्य शिव अवतार वर्ण
सुरेश्वर अवतार
ब्रह्मचारी अवतार
सुनट नर्तक अवतार
शिवजी का द्विजअवतार
अश्वत्थामा का शिव अवतार
पाण्डवों को शिव पूजन के लिए व्यास जी का उपदेश
अर्जुन द्वारा शिवजी की तपस्या करना
शिवजी का किरात अवतार
किरात अर्जुन विवाद
किरातेश्वर महादेव की कथा
द्वादश ज्योतिर्लिंग

BOOK 2
Section 5 – Uma-Saṃhita
अनुभाग ५ – उमा-संहिता


1 Kṛṣṇa meets Upamanyu
2 Upamanyu’s instruction
3 The greatness of Śiva
4 The exhibition of Siva’s spell
5 The Great Sins (mahā-pāpa)
6 Different types of sins (pāpa)
7 Pathway to Hell and the Emissaries of Yama
8 Description of the Hell (naraka)
9 Pangs of hell
10 The mode of sufferings in the Hell
11 The glory of the gift of food
12 The glory of penance (tapas)
13 The glory of the Purāṇas
14 General charitable gifts
15 Description of the Nether worlds (pātāla)
16 Uplift from the hell
17 Description of the Jambūdvīpa (jambū-dvīpa)
18 Seven continents (varṣa)
19 Worlds (loka) and Planets (graha)
20 The statement of a special Mantra
21 The fruits of righteous war
22 The origin and development of the body (deha)
23 The description of infancy (bālya)
24 Nature of women (strī)
25 Ascertainment of the time of death
26 The deception or dodging of Kāla
27 Escaping death and attainment of Śiva
28 The Chāyāpuruṣa
29 The primeval creation
30 Description of Creation
31 Description of Creation (2)
32 Description of Creation (3): The family of Kaśyapa
33 Description of Creation (4)
34 The enumeration of Manvantaras
35 The description of Vaivasvata
36 The description of the nine sons of and the race of Vaivasvata Manu
37 The race of Manu
38 From Satyavrata to Sagara
39 Kings of the solar race (sūryavaṃśa)
40 The power of the Manes (pitṛ)
41 The attainment of the seven hunters
42 Power of the Pitṛs
43 The mode of worshipping Vyāsa
44 The birth of Vyāsa
45 The incarnation of Mahākālikā
46 Incarnation of Mahālakṣmī
47 Dhūmralocana, Caṇḍa, Muṇḍa and Raktabīja are slain
48 The manifestation of Sarasvatī
49 The manifestation of Umā
50 The incarnation of Śatākṣī etc.
51 Review of holy rites

 

श्रीकृष्ण- उपमन्यु संवाद
शिव-भक्तों का आख्यान
शिव माहात्म्य वर्णन
शिव माया वर्णन
नरक में गिराने वाले पापों का वर्णन
पाप-पुण्य वर्णन
नरक वर्णन
नरक की अट्ठाईस कोटियां
साधारण नरकगति
नरक गति भोग वर्णन
अन्नदान महिमा
जलदान एवं तप की महिमा
पुराण माहात्म्य
विभिन्न दानों का वर्णन
पाताल लोक का वर्णन
शिव स्मरण द्वारा नरकों से मुक्ति
जंबू द्वीप वर्ष का वर्णन
सातों द्वीपों का वर्णन
राशि, ग्रह-मण्डल व लोकों का वर्णन

गर्भ में स्थित जीव, उसका जन्म तथा वैराग्य के दुख
शरीर की अपवित्रता तथा बालकपन के दुख

काल का ज्ञान वर्णन
काल चक्र निवारण का उपाय
अमरत्व प्राप्ति की साधनाएं
छाया पुरुष का वर्णन
आदि सृष्टि का वर्णन
सृष्टि रचना क्रम
मैथुनी सृष्टि वर्णन
कश्यप वंश का वर्णन
हवन सृष्टि वर्णन
मन्वंतरों की उत्पत्ति
वैवस्वत मन्वंतर वर्णन
मनु पुत्रों का कुल वर्णन
मनु वंश वर्णन
सगर तक राजाओं का वर्णन
वैवस्वत वंशीय राजाओं का वर्णन
श्राद्ध कल्प व पितरों का प्रभाव
सात व्याथ पुत्र
पितरों का प्रभाव
आचार्य पूजन का नियम
व्यास जी का जन्म
मधुकैटभ वध एवं महाकाली वर्णन
महालक्ष्मी अवतार
धूम्रलोचन, चण्ड-मुण्ड और रक्तबीज का वध
सरस्वती का प्राकट्य
उमा की उत्पत्ति
शताक्षी अवतार वर्णन
क्रिया योग वर्णन


BOOK 2
Section 6 – Kailasa-saṃhita:
अनुभाग ६ – कैलास संहिता


1 Discussion among Vyasa, Saunaka, and others
2 Dialogue between the god and the goddess
3 Way of Sannyasa
4 Daily conduct of a Sannyasin
5 Rules governing the mystic diagram of the ascetic
6 Rules of Nyasa in the path of Renunciation
7 Worship of Siva
8 Siva’s Mental worship
9 Mode of interpreting the Praṇava
10 Sūta’s instruction
11 Description of the Brahman Vamadeva
12 Procedure of Sannyasa
13 Procedure of Renunciation
14 Praṇava in the form of Siva
15 Idol of Siva for worship
16 Siva’s principle
17 Non-dualistic (advaita) nature of Siva
18 Procedure of initiating a disciple
19 Rules of Yogapaṭṭa
20 Rules for hair-cutting and ablution
21 Duties and rites up to the tenth day after the death of ascetics
22 Rites on the eleventh day for the ascetics
23 Twelfth day rites for Yatis

 

 

व्यासजी एवं शौनक जी की वार्ता
पार्वती जी का शिवजी से प्रणव प्रश्न करना
प्रणव पद्धति
संन्यास का आचार-व्यवहार
संन्यास मंडल की विधि
न्यास वर्णन
शिव ध्यान एवं पूजन
वर्ण- पूजा
शिव के अनेक नाम और ओंकार
सूतोपदेश वर्णन
वामदेव द्वारा ब्रह्म निरूपण
साक्षात शिव स्वरूप ही प्रणव है।
प्रणव सब मंत्रों का बीज रूप है
शिवरूप वर्णन
उपासना मूर्ति
ॐ शिव तत्व विवेचन
शिव ही प्रकृति के कारण रूप हैं।
शिष्य धर्म
योगपट्ट वर्णन
क्षौर एवं स्नान विधि
योगियों को उत्तरायण प्राप्ति
एकादशी पद्धति
शिष्य वर्ग का वर्णन

BOOK 2
Section 7.1 – Vayavīya-saṃhita (1):
अनुभाग ७.१ – वायवीय संहिता (१):

1 Origin of the sacred lore
2 The problem of the sages
3 The Naimiṣa episode
4 The advent of Vayu
5 The Principles of Siva cult
6 The Principles of Siva cult (2)
7 The glory of Time (kala)
8 The span of life of the trinity
9 The creation and sustenance
10 The description of creation (sṛṣṭi) (1)
11 The description of creation (sṛṣṭi) (2)
12 The description of creation (sṛṣṭi) (3)
13 The creation of Brahma and Viṣṇu
14 The manifestation of Rudras
15 Song of Prayer addressed to Siva and Siva
16 The manifestation of divine Sakti
17 The Narrative of Creation
18 The abandonment of the body by Satī
19 The origin of Vīrabhadra
20 The destruction of Dakṣa’s sacrifice (1)
21 The destruction of Dakṣa’s sacrifice (2)
22 The destruction of Dakṣa’s sacrifice (3)
23 The destruction of Dakṣa’s sacrifice (4)
24 Siva’s sports on the Mandara mountain
25 The goddess (devī) attains fair complexion
26 The attainment of higher status by the tiger (vyaghra)
27 Gaurī’s embellishment
28 The glory of Bhasma
29 The analysis of Vagartha (vag-artha)
30 The principle of Siva
31 Instruction in perfect wisdom
32 The description of excellent practice
33 Rules governing PaSupatavrata
34 The penance of Upamanyu
35 The story of Upamanyu

 

Section 7.2 – Vayavīya-saṃhita (2)

अनुभाग ७.२ – वायवीय संहिता (२):

 

1 Acquisition of sons by Srīkṛṣṇa (Srī Kṛṣṇa)
2 The glory of Lord Siva
3 Upamanyu’s advice to Lord Kṛṣṇa
4 The exalted magnificence of Gaurī and Siva
5 Knowledge of pasupati principle
6 The Principle of Siva (1)
7 The principle of Siva (2)
8 The incarnations of Vyasa
9 Siva’s incarnations as Yogacaryas
10 Devotion to Siva
11 The Saivite knowledge
12 The glory of the five-syllabled mantra of Siva (1)
13 The greatness of the five-syllabled Mantra (2)
14 The glory of the five-syllabled Mantra (3)
15 The greatness of the Preceptor (guru)
16 The consecration of the disciple (Siṣya)
17 The rules governing Saivite initiation
18 The purification of the six paths
19 The consecration of the aspirant and the greatness of the Mantra
20 Special consecration
21 Nitya and Naimittika rites
22 The compulsory and optional rites of Saivite Scriptures
23 A gloss on the rules governing worship
24 The ritual of Lord Siva
25 The Worship of Siva
26 The worship of Siva with the ancillary rites
27 The rite of sacrifice
28 The compulsory and optional rites
29 Description of Kamya rites
30 The Kamya rites of the followers of Siva
31 The Hymn of Lord Siva
32 The rites for achieving worldly benefits
33 Rites for deriving benefits hereafter
34 The delusion of Viṣṇu and Brahma (1)
35 The delusion of Viṣṇu and Brahma (2)
36 Installation of Siva
37 The Goal of Yoga
38 Obstacles in the path of Yoga
39 The Saivite Yoga
40 Journey of the sages of Naimiṣa
41 Instruction of Vyasa

 

श्रीकृष्ण को पुत्र प्राप्ति
शिवगुणों का वर्णन
अष्टमूर्ति वर्णन
गौरी शंकर की विभूति
पशुपति ज्ञान योग
शिव तत्व वर्णन
शिव-शक्ति वर्णन
व्यासावतार
शिव शिष्यों का वर्णन
शिवोपासना निरूपण
ब्राह्मण कर्म निरूपण
पंचाक्षर मंत्र की महिमा
कलिनाशक मंत्र
व्रत ग्रहण करने का विधान
दीक्षा विधि
शिव भक्त वर्णन
शिव-तत्व साधक
पडध्व शोधन विधि
साधन भेद निरूपण
अभिषेक
कर्म निरूपण
पूजन का न्यास निरूपण
ॐ मानसिक पूजन
पूजन निरूपण
नित्य कृत्य विधि
सांगोपांग पूजन
अग्नि कृत्य विधान
नैमित्तिक पूजन विधि
काम्य कर्म निरूपण
आवरण पूजन विधान
शिव स्तोत्र निरूपण
सिद्धि कर्मों का निरूपण
लिंग स्थापना से फलागम
लिंग स्थापना से शिव प्राप्ति
ब्रह्मा-विष्णु मोह
ॐ शिव लिंग प्रतिष्ठा विधि
योग-निरूपण
*योग गति में विघ्न
योग वर्णन
ॐ मुनियों का नैमिषारण्य गमन

Join Kundalini Meditation & Spiritual Seekers Close Community

Any one, any sex, any age, any caste, any religion, any country, any faith can join

If you want connect with Guru Ji, take Guru Diksha
or join the Spiritual meditation group,
Send your complete details & query to ShivaBlessingsTrust@gmail.com


Our Beliefs:
 - We Serve God, By Serving Others in need.
 - Do everything with a Pure Heart.
 - Love. Share. Donate. Help.


शिव भक्तों, अगर आप शिव मंत्र साधना करने - आप किस शहर से हैं, कौन सा शिव मंत्र साधना जपकर रहे हैं, या जुडी कोई भी परेशानी, विधि, गुरु दीक्षा आदि से संबंधित नीचे दिए गए (WhatsApp) लिंक में हमसे सवाल कर सकते हैं।